ससुराल में नमाज़े क़स्र अदा करना : Sasural Me Namaz E Kasr Ada Karna


By ilmnoohai.com   ·  
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Sasural Me Namaz E Qasr Ada Karna

ससुराल में नमाज़े क़स्र अदा करना | Sasural Me Namaz E Kasr Ada Karna

सवाल:एक शख्स जो गाँव का रहने वाला है और गाँव में ही पैदा हुआ है। वालिदैन वग़ैरह गाँव में जी हैं वो शख्स काम के सिलसिले मेम आरज़ी तौर पर अपने बीवी बच्चों समेत किराये के मकान में मुक़ीम है। ससुराल इस का एक दूसरे गाँव में है, सवाल ये है कि जब शख्से मज़कूर अपने गाँव और ससुराल जाये तो पूरी नमाज़ पढ़ेगा या क़स्र के साथ?

जवाब:सूरते मसऊला में शख्से मज़कूर जिस गाँव का रहने वाला है वो गाँव इसका वतने असली है जब भी वहाँ जायेगा ख़्वाह एक दिन के लिये इस उस से ज्यादा के लिये बहर हाल पूरी नमाज़ अदा करेगा।

दुर्रे मुख्तार और रद्दुल मुहतार में है कि वतने असली उसको कहते हैं जिस में आदमी की पैदाइश हो या शादी कर के बीवी बच्चों के साथ घर बसा लिया वो जगह जहाँ इस तरह कियाम पज़ीर हो जाये कि उस को छोड़ने का इरादा ना हो।

जहाँ तक मज़कूरा शख्स के ससुराल का ताल्लुक़ है तो वहाँ चुनाँचे वो अपने बीवी बच्चों के साथ कियाम पज़ीर नहीं है इसलिये जब यहाँ से वहाँ जायेगा और पंद्रह दिन से कम ठहरने का इरादा होगा तो शरअन मुसाफ़िर होगा और नमाज़े क़स्र अदा करेगा और अपने गाँव से ससुराल जायेगा तो देखना होगा कि अपने गाँव और ससुराल के दरमियान कितना फासला है अगर इन दो मक़ामात के दरमियान का फासला कम अज़ कम 98.734 किलोमीटर का फासला हो तो और पंद्रह दिन से कम ठहरने के इरादे से जब अपने ससुराल जायेगा तो शरअन मुसाफ़िर होगा और नमाज़ क़स्र के साथ अदा करेगा अगर दोनों गावँ के दरमियान इस से कम फासला हो तो अपने गाँव से जब ससुराल जायेगा तो ख्वाह 15 दिन ठहरने की निय्यत करे या उस से ज़्यादा बहर हाल नमाज़ पूरी पढ़ेगा।