अज्जिल अज्जिल या रमज़ान,
जान मेरी तुझ पर क़ुर्बान.
आ भी जा, माह ए-सुब्हान,
जल्दी जल्दी आ रमज़ान.
जब भी आता है रमज़ान,
जान में आ जाती है जान.
ख़ूब है रमज़ों की भी शान,
इस में उतरा है कुरआन.
अज्जिल अज्जिल या रमज़ान,
जान मेरी तुझ पर क़ुर्बान.
आ भी जा, माह ए-सुब्हान,
जल्दी जल्दी आ रमज़ान.
तुझ में बख़्शिश का सामान,
है ला रैब मह ए ग़ुफ़रान.
ग्यारह माह का तू सुल्तान,
फ़ज़्ल ए रब से है, रमज़ान.
अज्जिल अज्जिल या रमज़ान,
जान मेरी तुझ पर क़ुर्बान.
आ भी जा, माह ए-सुब्हान,
जल्दी जल्दी आ रमज़ान.
मौला तू बहर ए रमज़ान,
मुझ को बना दे नेक इंसान.
या रब कर दे करम ईमान,
नज़'अ में ले न सके शैतान.
अज्जिल अज्जिल या रमज़ान,
जान मेरी तुझ पर क़ुर्बान.
आ भी जा, माह ए-सुब्हान,
जल्दी जल्दी आ रमज़ान.
मुझ को बख़्श प ए रमज़ान,
या हन्नानु या मन्नान.
ग़म रमज़ान का दे, रहमान,
अश्क बहाऊँ मैं हर आन.
अज्जिल अज्जिल या रमज़ान,
जान मेरी तुझ पर क़ुर्बान.
आ भी जा, माह ए-सुब्हान,
जल्दी जल्दी आ रमज़ान.
मुझ को मदीने में रमजान,
काश, मुयस्सर हो, रहमान.
आ जा, आ भी जा, रमज़ान,
तुझ पे फ़िदा 'अत्तार की जान.
अज्जिल अज्जिल या रमज़ान,
जान मेरी तुझ पर क़ुर्बान.
आ भी जा, माह ए-सुब्हान,
जल्दी जल्दी आ रमज़ान.
Shayar:- मुहम्मद इल्यास अत्तार क़ादरी
Naat Khawan:- महमूद अत्तारी, अल्लामा बिलाल कादरी..