Karbala Sharif

दीन को बचाना था कर्बला हुसैन आए मन्कबत लिरीक्स

दीन को बचाना था कर्बला हुसैन आए
जु़ल्म को मिटाना था कर्बला हुसैन आए

नाना जान से बचपन में किया था जो वा'दा
बस वही निभाना था कर्बला हुसैन आए

हुर को नार ए दोज़ख़ से खेंच कर के लाना था
जन्नती बनाना था कर्बला हुसैन आए

सर कटे तो कट जाए हक़ का साथ मत छोड़ो
ये सबक़ पढ़ाना था कर्बला हुसैन आए

ऐ यज़ीद सुन तेरी जुल्म की हुकूमत को
ख़ाक में मिलाना था कर्बला हुसैन आए

जज़्बा ए 'अली हैदर, जुल्फ़िकार को ले कर
जंग में दिखाना था कर्बला हुसैन आए

नात-ख़्वाँ:-मुहम्मद अली फ़ैज़ी