 
                    
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा 
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा
                          
                            जो अहल ए ख़िरद थे उन्हें दीवाना बनाया 
                            अजमेर में ख़्वाजा ने करिश्मा ये दिखाया 
                            सागर के भरे पानी को प्याले में मँगाया 
                            साबित किया पानी पे भी क़ब्ज़ा है हमारा 
                          
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा 
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा... 
                          
                            जब 'आरज़ी राजा के बढ़ा जुल्म का चर्चा 
                            फिर अब्र ए-करम शहर ए-मदीना से जो उठा अल्लाह के महबूब ने भारत जिसे भेजा 
                            भारत की ज़मीं बोली ये राजा है हमारा 
                          
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा 
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा... 
                          
                            इक रोज़ मुक़ाबिल में वो जयपाल जो आया 
                            जादू से उड़ा और फ़ज़ा में कहीं खोया 
                            ख़्वाजा की खड़ाऊँ ने सबक़ जा के सिखाया 
                            फिर क़लमा पढ़ा, बोला ये आक़ा है हमारा 
                          
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा 
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा... 
                          
                            इक और करामत सुनो इक दिन हुआ ऐसा 
                            पीतल की बनी गाय से भी दूध निकाला 
                            ये देख हज़ारों ने वहीं पढ़ लिया क़लमा 
                            सब ने कहा अब एक ही दाता है हमारा 
                          
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा 
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा... 
                          
                            तयबा से बहार आई है, अजमेर चलो ना 
                            रहमत की घटा छाई है, अजमेर चलो ना 
                            ख़्वाजा की छटी आई है, अजमेर चलो ना 
                            अजमेर भी, जावेद  मदीना है हमारा 
                          
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा 
                            ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा...   
                          
Naat Khawan:- मुहम्मद अली फ़ैज़ी.