जिसका गरीबोमें है देखो बोलबाला, यही ख्वाजा है हमारा
शाहो अमीरोको भी जीसने ना टाला, यही ख्वाजा है हमारा...
देते गरीबो को अपनापन, जबभी देखो ख्वाजा
उनके गदा की देख नवाजीश, शरमाते है राजा
दुनिया की नझरोसे गीरा, खाजाने संभाला...
यही ख्वाजा है हमारा...
सब दरके टाले को ख्वाजा, तेरा करम पुकारे
तुं जीसको अपनाले ख्वाजा, दुनिया उनसे हारे
दिलकी अंधेरी दुनियामें, करता है उजाला...
यही ख्वाजा है हमारा...
कितने फकिरा, कितने गरीबा, कौन कहांसे आते
देखा तो अकल हुई है गुम, कौन कया है खाते
आया समजमें है सबको, ख्वाजाने पाला...
यही ख्वाजा है हमारा...
पहाडी जुलेमें जुले है, मेरा प्यारा खाजा
खुल्दके कुदसी रहेते है, हरदम उनपे नाझा
जन्नत भी शरमा जाये, ऐसा अजमेर निराला...
यही ख्वाजा है हमारा...
ख्वाजाकी नगरी है, जैसे गरीबोका हो मदीना
काबा फकिरो का है, खाजा वहां हरपल हजका महीना
झिल्हज के बदले लेले, रजब का तुं हवाला...
यही ख्वाजा है हमारा...
कोई लुटा है कोई बसा है, कोई हसा कोई रोया
ख्वाजा की चौखट पे आके नींदं चेन की सोया
सबको दीलासा देता है वो भोला भाला...
यही ख्वाजा है हमारा...
शाहो फकीरो पीरो आलीम सुफीयोकी भी मंझिल
डाल ही देते है ख्वाजा के चरनोमें अपना दील
हो गुरबतमें डुबा या खुदीमें वो ही नीकाला...
यही ख्वाजा है हमारा...
सर धुनाये सदा लगाये, साईल की जैसी मस्ती
आती है अजमेरमें देखो अच्छी अच्छी हस्ती
समंदरमें अकीदत की तेरे आये उछाला...
यही ख्वाजा है हमारा...
बनता है दुश्मन बने झमाना तेरी बलासे जाये
रोना कयूं रोता है नादां, तेरा खाजा तुजे हसाये
मतलब की दुनियामें है तेरा ख्वाजा रखवाला...
यही ख्वाजा है हमारा...
“पीरे वाहिद” ऐसा खरीदा, बेचा ख्वाजा गौष के आगे
पीरो के बीच बीकां “दिलावर” भाग सोये जागे
खाता है उनके दरका हरदीन नुरी निवाला...
यही ख्वाजा है हमारा...