सूरज गहन की नमाज़ सुन्नते मुअक्किदा है और चांद गहन की मुस्तहब यानी पढ़ना बेहतर है सूरज गहन की नमाज़ जमाअत से पढ़ना मुस्तहब है और तन्हा तन्हा भी हो सकती है और जमाअत से पढ़ी जाये तो ख़ुत्बे के सिवा तमाम शराइते जुम्आ उस के लिये शर्त हैं, वही शख्स उसकी जमाअत क़ाइम कर सकता है जो जुम्आ की कर सकता है, वो ना हो तो तन्हा तन्हा पढ़ें, घर में या मस्जिद में।
गहन की नमाज़ उसी वक़्त पढ़ें जब आफ़ताब गहन हो, गहन छूटने के बाद नहीं और गहन छूटना शुरू हो गया मगर अभी बाकी है उस वक़्त भी शुरू कर सकते हैं और गहन की हालत में उस पर अब्र आ जाये जब भी नमाज़ पढ़ें
ये नमाज़ और नवाफिल की तरह दो रकअत पढ़ें यानी हर रकअत में एक रुकूअ और दो सजदे करें ना इस में अज़ान है ना इक़ामत, ना बुलंद आवाज़ से किरअत और नमाज़ के बाद दुआ करें यहाँ तक कि आफ़ताब खुल जाये और दो रकअत से ज़्यादा भी पढ़ सकते हैं, ख्वाह दो दो रकअत पर सलाम फेरें या चार पर।
अगर लोग जमा ना हुये तो इन लफ़्ज़ों से पुकारें اَلصَّلٰوۃُ جَامِعَۃ
अगर याद हो तो सूरहे बक़रा और आले इमरान की मिस्ल बड़ी बड़ी सूरतें पढ़ें और रुकूअ व सुजूद में भी तूल दें और बाद नमाज़ दुआ में मशगूल रहें यहाँ तक कि पूरा आफ़ताब खुल जाये और ये भी जाइज़ है कि नमाज़ में तख़फ़ीफ करें और दुआ में तूल, ख़्वाह इमाम किब्ला रू दुआ करे या मुक़्तदियों की तरफ मुँह करके खड़ा हो और ये बेहतर है और सब मुक़्तदी आमीन कहें, अगर दुआ के वक़्त असा या कमान पर टेक लगा कर खड़ा हो तो ये भी अच्छा है, दुआ के लिये मिम्बर पर ना जाये।
सूरज गहन और जनाज़ा का इज्तिमा हो तो पहले जनाज़ा पढ़ें।: चाँद गहन की नमाज़ में जमाअत नहीं, इमाम मौजूद हो या ना हो बहर हाल तन्हा तन्हा पढ़ें इमाम के अलावा दो तीन आदमी जमाअत कर सकते हैं।
तेज़ आँधी आये या दिन में सख़्त तारीकी छा जाये, या रात में खौफ़नाक रौशनी हो या लगातार कसरत से मीन्ह (बारिश) बरसे या बा कसरत ओले पढ़ें या आसमान सुर्ख हो जाये या बिजलियाँ गिरें या बा कसरत तारे टूटे या ताऊन वग़ैरह वबा फैले या ज़लज़ले आयें या दुश्मन का खौफ़ हो या और कोई दहशत नाक अम्र पाया जाये, इन सब के लिये दो रकअत नमाज़ मुस्तहब है।