नमाज़े सफर का बयान | Safar Ki Namaz | Safar ki Namaz Ka Tarika


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नमाज़े सफर का बयान | Namaz E Safar Ka Bayan

नमाज़े सफर का बयान | Safar Me Namaz Ka Tarika | Safar Me Namaz Ki rakat Aur Tarika in Hindi

नमाज़े सफर:सफर में जाते वक़्त दो रकाअत अपने घर पर पढ़ कर जाये। तबरानी में है किसी ने अपने अहल के पास उस दो रकाअत से बेहतर कुछ ना छोड़ा जो सफर से पहले उनके पास पढ़ी।

सफर से वापसी पर नमाज़:

सफर से वापसी पर दो रक़ाअतें मस्जिद में अदा करे। सहीह मुस्लिम में हज़रते क़ाब से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ दिन में चास्त के वक़्त सफर से वापस तशरीफ़ लाते और इब्तिदाअन मस्जिद में जा कर दो रक़ाअतें अदा फरमाते फिर वहीं तशरीफ़ रखते।

मुसाफिर को चाहिये के मंज़िल में बैठने से पहले दो रकाअत नमाज़ अदा करे जैसे हुज़ूरﷺ किया करते थे

सलातुल लैल : ईशा की नमाज़ के बाद जो नवाफिल पढ़े जायें उन्हें सलातुल लैल कहते हैं और रात के नवाफिल दिन के नवाफिल से अफ़ज़ल हैं कि सहीह मुस्लिम में मरफू'अन है कि फ़र्ज़ के बाद अफ़ज़ल नमाज़ रात की नफ्ल नमाज़ है। तबरानी में मरफूअन है कि रात में कुछ नमाज़ ज़रूरी है अगर्चे इतनी देर हो कि जितने में बकरी को धो लेते हैं और फर्ज़े ईशा के बाद जो पढ़ी वो सलातुल लैल है।