Ramadan Topic: इफ़तार के वक्‍त दुआ का एहतेमाम | Iftar Ke Waqt Dua Ka Aehtimam


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इफ़तार के वक्‍त दुआ का एहतेमाम | Iftar Ke Waqt Dua Ka Aehtimam

मेरे प्यार आका सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम के प्यारे दीवानो यह कभी आपने सोचा कि बंदा पांचों वक्त नमाज के बाद दुआ करता है, जुम्अतुल मुबारक की नमाज़ और बड़ी रातों में दुआ करता है लेकिन दुआ की कुबुलियत का जो यकीन और एहतेमाम माहे रमजा़न शरीफ में इफ़तार के वक्‍त होता है वह किसी ओर वक्त में नहीं होता। आप देखते होंगे कि एक रोजा़दार तिजारत की मंडी में अगर बैठा है तो वह इफ़तार से चंद मिनट पहले सब काम छोड़ कर निहायत ही खुशूअ और खुज़ूअ के साथ मस्रुफ़े दुआ हो जाता है। इसी तरह घरों में ख़वातीन ओर बच्चे, मस्जिद में नमाजी़ और इमाम सबके सब दुआ में मस्रुफ हो जाते हैं। आखिर वक्‍ते इफ़तार दुआ का इतना एहतेमाम क्‍यों किया जाता है?

वजह जाहिर है कि सुबह सादिक़ से लेकर गुरूबे आफ़ताब तक खशिय्यते रब्बानी के तसव्वुर में डुब कर बंदे ने अपने वजूद को तीन चीजों से रोके रखा है, जो सिर्फ़ ओर सिर्फ़ अल्लाह की रजा़ की खातिर और अल्लाह के खोफ़ की वजह से उसके एहकाम की बजा आवरी में बंदा इख़लास के साथ यह वक्‍त गुजारता है, इसी लिए बंदे को पूरा यकीन होता है कि मैंने फ़रमाबरदारी में कोई कमी नहीं की तो अब इफ़तार के वक्त में जो भी दुआ अपने रब से करूंगा मोला जरूर कुबुल फरमायेगा।

जैसा कि हज़ूर नबी करीम सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया तीन आदमियों की दुआ रद नहीं की जाती। रोजा़दार की इफ़तारी के वक्त, आदिल बादशाह की और मजलूम की दुआ | (तिर्मिज़ी व इब्ने माज़ा)

इफ़तार और नबी करीम की सुन्नते मुबारका | Iftar Aur Nabi Ki Sunnat E Mubarak

सुन्नत यह है कि इफ़तार में जल्दी की जाए यानी जूँ ही इफ़तार का वक्‍त हो जाए विला ताखी़र इफ़तार कर ली जाए।

एक हदीष में है कि नबी करीम सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया जब रात आए और दिन चला जाए और सूरज पूरे तोर पर छुप जाए तो अब राजा़दार अपना रोजा़ इफ़तार करें। (बुखारी: जि.1, स. 262)

एक और हदीष में है कि नबी करीम सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया “दीन उस वक्‍त तक गालिब रहेगा जब तक लोग इफ़तार में जल्दी करते रहेंगे क्योंकि यहूद व नसारा इफ़तार में ताखीर करते थे। (अबू दाऊद: स. 321)

एक और हदीष में है कि रसूले अकरम नूरे मुजस्सम सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने फ़रमाया अल्लाह तआला फ़रमाता हैं कि मुझे अपने बंदों में सबसे ज़्यादा पसंद वह है जो इफ़तार में जल्दी करने वाला हो।

इफ़तार की फज़ीलत | Iftar Ki Fazilat in Hindi

हजरत शम्सुद्दीन दारानी फ़रमाते हैं कि मैं दिन को रोजा़ रखूँ और रात को हलाल लुकमा से इफ़तार करू मुझे ज़्यादा महबुब है कि रात दिन नवाफिल पढ़ते गुजारू।

किस चीज से इफ़तार करे? | Kis Cheez Se Iftar Kare?

हजरत सलमान बिन आमिर से रिवायत है कि रसुलुल्लाह सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया: जब तुम में कोई रोजा़ इफ़तार करे तो खजूर या छुआरे से इफ़्तार करे (कि वह बरकत है) और अगर न मिले तो पानी से कि वह पाक करने वाला है। (तिर्मिजी: 149, इब्ने माजा:123)

इफ़तार के बाद की दुआ | Iftar Ke Bad Ki Dua

इफ़तार करने के बाद यह दुआ पढ़े: اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ

अल्लाहुम्मा इन्नी लकसमतु व बिका आमंतु व अलैका तवक्कलतु व अला रिज़्क़ीक़ा अफ़्तरतो

ऐ अल्लाह मैंने तेरे लिए रोजा़ रखा और तुझ पर ईमान लाया और तुझ पर भरोसा किया और तेरे दिए हुए से इफ़तार किया तो तू मुझ से इसको कबूल फरमा।

Iftar Ki Dua In English: O Allah! I fasted for you and I believe in you and I put my trust in You and I break my fast with your sustenance.

इफ़तार कराने की फ़जीलत | Iftar Krane Ki Fazilat

निसाईं व इजब्ने ख़जीमा जैद बिन खालिद जहनी से रावी हैं कि फ़रमाया जो रोजा़दार का रोजा़ इफ़तार कराए या गीजा का सामान कर दे तो उसे भी उतना ही सवाब मिलेगा। (निसाई शरीफ)