दूसरे महीनों पर माहे रमजा़नुल मुबारक की फजी़लत चंद एतिबार से है।
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कुरआने मुक्दस मे यह तो मज़कूर है कि महीनें बारा हैं और यह भी मज़कूर है कि उनमें से चार हूर्मत वाले हैं वह हर्मत व इज्जत वाले महीने कोन हैं यह मजकूर नहीं लेकिन माहे रमजा़नुल मबारक का नाम कुरआने मुक्दस में सराहत के साथ मज़कूर है बाकी किसी भी महीने का नाम सराहत के साथ मज़कूर नहीं। माहे रमजा़न में कुरआने मुक्दस नुज़ूल हुआ।
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इसी माह में शबे कद्र है, जिसका कयाम (इबादत व शब बेदारी) हजार महीनों के कयाम से बेहतर है।
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हर माह में इबादत के लिए वक्त मक॒र्रर है मगर इस माह में रोजा़दार का लम्हा लम्हा इबादत में शमार होता है।
- इस माह में नेकियों का षवाब दस गुना से सात सौ गुना तक बढ़ा दिया जाता है।
- नफल का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज़ का सवाब सत्तर फर्ज़ के बराबर हो जाता है।
- अल्लाह तआला इस माह मे अपन बंदो पर ख़ुसूसी तवज्जाह फरमाता है।
- जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं।
- जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।
- आसमान के दरवाज़े ख़ोल दिए जाते हैं और बंदों की जाइज़ दुओऐं बाबे हिजाबत तक बिल्कुल आसानी के साथ पहुंच जाती है।
- हजरत इब्राहीम (अ.स)के सहीफे इसी माह की एक तारीख को नाजिल हए।
- ताौरेत शरीफ इसी माह की 6 तारीख को नाजि़ल हई।
- इंजील शरीफ इसी माह की 13 तारीख को नाजिल हई।
- कुरआन मुक्दस इसी माह की चौवीस तारीख को नाजिन हुआ।
- ख़ातूने जन्नत हज़रत फातिमा जहरा का विसाल इसी माह की 3 तारीख को हआ।
- उम्मुल मोमिनीन हजरत आइशा सिदीका का विसाल इसी माह की 17 तारीख को हुआ।
- जंगे बदर इसी माह की 17 तारीख को हुई।
- फतहे मक्का इसी माह की 20 तारीख को हई।
- हजरत अली मुश्किल कुशा शेर ख़ुदा की शहादत इसी माह की 21 तारीख को हुई।