मेरे प्यारे आका सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम के प्यारे दीवानो रमजा़नुल मुबारक के बा बर्कत महीना में हमें अपने लिए मिस्वाक को लाजि़म करने की कोशिश करनी है, हदीषे पाक और साइंस नीज़ वाकिआत इस बात की शहादत देते हैं कि मिस्वाक में बेशुमार फाइदे हैं ओर सबसे बड़ा फा़यदा तो यह है कि यह हमारे प्यारे नबी सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम की प्यारी सुन्नत है। रमजा़नुल मुबारक में हमें पाबंदी से उसका इस्तेमाल करके आइंदा भी उसके इस्तेमाल के लिए अज्मे मसम्म करना है।
मुनासिब मालूम होता है इख्तिसार के साथ मिस्वाक के फ़जा़इल व फ़वाइद पर रोशनी डाल दूं ताकि मिस्वाक की महब्बत और उसके इस्तेमाल का जज़्बा कारेईन के दिलों में वैठ जाए।
मिस्वाक के हवाले से नबी करीम सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने बे इंतिहा ताकी़द फरमाई है। यहां तक कि सहाबाए किराम यह ख्याल करते थे कि अंकरीब उसके मुत अल्लिक आयत नाजि़ल होगी। एक हदीष में है कि नबी ए कोनन साहिब काब कोसेन सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने फ़रमाया: अगर मैं अपनी उम्मत पर दुश्वार न जानता तो मिस्वाक को उनके लिए फ़र्ज़ करार देता। ॥इब्ने माजाः स. 25)
और हजरते अब्दुल्लाह इब्ने उमर से रिवायत है कि आपने फ़रमाया नबी ए-करीम सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम जब सोते तो आपके पास मिस्वाक होती, फिर जब आप बेदार होते तो (आपका पेहला काम) मिस्वाक करना होता। यानी सो कर उठने के बाद सबसे पहले मिस्वाक फ़रमाया करते।
हजरत आइशा सिद्दीका से रिवायत है कि नबी ए-करीम रऊफ व रहीम सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया जो नमाज़ मिस्वाक करके पढ़ी जाए वह सत्तर दर्जा अफ़॒ज़ल है उस नमाज़ पर जो बगेर मिस्वाक के पढ़ी जाए।
हदीषे पाक और साईंस दानों के तजुर्बे के मुताबिक मिस्वाक के बेशुमार फ़वाइद हैं, अल्लामा शामी ने मिस्वाक के बरे में तहरीर फ़रमाया है कि मिस्वाक करने वाले के लिए मिस्वाक के मंजदरजा जैल फ़वाइद हैं.