Ramadan Topic: रोजा़ की नियत | Roze Ki Niyat Kese Kre?


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रोजा़ की नियत | Roze Ki Niyat Kese Kre?

खाने पीने वगैरा से रुक जाना कभी-कभी आदतन, कभी 'भूक के न होने की बिना पर, कभी मर्ज़ की वजह से और कभी रियाजत की बिना पर और कभी इबादत के तोर पर होता है, इसलिए जरूरी ठहरा कि रोजा रखते वक्‍त रोज़ा की नियत कर ले ता कि ख़ालीस इबादत मुतअय्यन हो जाए।

नियत दिल के इरादे को कहते हैं, अगर किसी ने दिल से पक्का इरादा कर लिया कि मैं रोजा़ रख रहा हूँ तो इतना काफी़ है लेकिन ज़बान से इन अल्फ़ाज़ का दोहरा लेना भी बेहतर है।

Roze Ki Niyat In Arabi:

وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ.

Roze Ki Niyat In Hindi:

वबी सव्मी गदिन्नीन नवयतु मीन शेहरी रमज़ान

मैंने यह इरादा किया कि कल रोजा रखूँ अल्लाह तआला के लिए इस रमजा़नुल मुबारक का।