सेहरी खाना हुज़ूर सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम की सुन्नत है। सेहरी रोजा़ रखने के वक्त से पहले आखरी वक्त में खाई जाए। नबी करीम सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इसकी ताकी़द फ़रमाई है जेसा कि हजरत अनस इब्मे मालिक फ़रमाते हैं कि रसूले अकरम सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया सेहरी किया करो क्योंकि सहरी में बरक़त है। (वुख़ारी शरीफ, जि.1, सः257)
दूसरी हदीष मे आका ए नामदार मदीने के ताजदार सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इस तरह फ़रमाया कि हमारे और एहले किताब के रोजो़ के दरमियान फर्क़ सेहरी खाने में है। (अबू दावुद, तिर्मिजी) एक और हदीष में रसूल ने फ़रमाया कि अल्लाह और उसके फरिश्ते सेहरी खाने वालों पर दुरूद भेजते हैं।
इसी तरह अल्लाह के प्यार हबिब सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया दोपहर का थोड़ी देर आराम करके कयामुल लैल में सहूलत हासिल करो ओर सेहरी खा कर दिन में रोज़ा के लिए कुव्वत हासिल करो।
मेरे प्यारे आका सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम के प्यारे दीवानो सेहरी जरूर खाया करो कि इसमें दारैन की भलाइ है, इत्तिबाए सुन्नत भी और रिज़्क में इजा़फा का सबब भी। और आशिके रसूल के लिए इतना बस है कि फु़ला काम मेरे नबी ने किया है। रब्बे कदीर हम सब को अपने प्यारे हबीब की प्यारी सुन्नतों पर अमल करने की तौफीक अता फ़रमाए |