मेरे प्यारा आका सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम के प्यारे दीवानों साल भर मे बाज़ औकात ऐसे होते हैं जब अल्लाह की रहमत पुकारती है कि है कोई पुकारने वाला कि उसकी पुकार सुनी जाए, हे कोई मांगने वाला कि उसका दामने मक़सद भर दिया जाए। तो अगर कोई बंदा इन अव्कात में दुआ करता है तो उसकी दुआ बारगाह यज़दी में मकबुल हो जाती है।
रात का पिछला पहर जिसे उमूमन तहज्जुद का वक्त कहा जाता है इस वक्त भी अल्लाह तबारक व तआला अपने बंदों की दुआ कुबुल फ़रमाता है ओर यह वक्त कुबुलियते दुआ का ख़ास वक्त हो जैसा कि अल्लाह के प्यारे हबिब साहिबे लोलाक सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया अल्लाह तबारक व तआला रात के आखरी तिहाई हिस्से में आस्मानी दुनिया की तरफ मुतवज्जाह होता है और फ़रमाता है, “है कोई मांगने वाला जिसको मैं अता करू ? है कोई दुआ करने वाला जिसकी दुआ में कुबूल करूं? हे कोई बख्शीस तलब करने वाला जिसे मैं बख्श दूँ ? हत्ता कि सुबह हो जाती है।