उन्ही के नाम से करता हु इब्तिदा ए सुखन जमीरे कुन से जो उगाता है जमीनों जमन या साहिबल जमाल व या सय्यदिल बशर मींव वजहे कल मुनीर लकद नूव्वेरल कमर ला यूंकीनुस्स सनाहु कमा काना हक्कू हु बाद अज खुदा बुजुर्ग तूही किस्सा मुख्तसर
हुजूर ए अकदस, कासीमुल नैअम, मालिके अर्द, रिकाब ए उमम, काशीफुल कुर्रब, राफ़ीऊल रूतब, कुसुम कय्यिम वली, अली आली, मोइन काफी, हफीज वाफी, शफी शाफी, अफ आफी, गफूर जमील, अज़ीज़ जलील, वहाब करीम, खलीफा ए मुतलद, हजरत ए रब्ब, मालीकुल नास, दयानुल अरब, वलियुल फजल, जलियुल अफजाल, रफीउल मिस्र, नूरे अकदस, नूरे खुदा, वालिए कोनो मका, मलिके ला मका, महबबे खुदा,ससूले रहमत, शफीए मोअज़्जम, नबिए मोहतशम, अल्लाह के प्यारे, उम्मत के सहारे, दानाए गय्युब, फख्रे अरबों अजम, सय्यदे हिंसो जां, सरवरे लालारुखा शाहे खुबा, जाने जाना, शेहंशाहे हसीं, तत्तिमाए दौरा, सरखेले जोहरा जमाला, जलवाए सूबहे अजल, नूरे जाते लमयजल, बाइसे तलबीने आलम,फखरेआदम व बनीआदम, नय्यरे बतहा, राज़दारे माओहा, शाहिले मातोहा, साहिबे अलम नशरह, मासूमे आमिना, मदनी सरकार, रसूलल्लाह, हबीबल्लाह, रेहमतुल्लील आलमीन, हुजूर अहमद ए मुजतबा मुहम्मद मुस्तफा सल्ललाहु अलयही वसल्लम
दर्दमंदो ना पूछो के किधर बैठ गए उनकी महफिल में गनीमत है जिधर बैठ गए है गरज दिद से या काम तकल्लुफ से नही कभी इधर बैठ गए कभी उधर बैठ गए उनकी महफिल किसीको जीते जी उठने नही देती वो है जिंदा जनाजा जो तेरी महफिल से उठ गए वो आका की धरती पे अपने बसेरे वो दिन वो राते वो शामें सवेरे ना दुनिया का गम था ना घर के झमेले वो तैयबा की गलियां वो तैयबा के मेले वो प्रीतम की बस्ती वो नूरानी राते आओ मिलके बैठे पढ़े उनकी नाते
उन्ही की बू मयाए समन है उन्ही का जल्वा चमन चमन है उन्ही की रंगत गुलाब मे है उन्ही से गुलशन मेहेक रहे है वो गुल है लब हाय नाजुक उनके हजार जड़ते है फूल जिनसे गुलाब गुलशन में देखे बुलबुल ये देख गुलशन गुलाब मे है इक माहे अदन नूरानी बदन नीची नजरे सबकी खबरे वो दिखाके पवन वो सुनाके सुखन मोरा फूंक गया सब तन मन धन ये सबा सनक वो कली चटक ये जुबां चेहेक लबे जो जलक ये मेहेक जलक ये चमक दमक सब उसी के दम की बहार है ये समन ये सौ सनो या समन ये बनफ्ते सुमबुलो नसतरन गुलो सर्वे लाला भरा चमन वही एक जलवा हजार है वो न थे तो बाग में कुछ न था वो न हो तो बाग हो सब फना बा अदब जुका लो सरे विला के में नाम लू गुलो बाग का गुले तर मोहम्मद मुस्तफा चमन उनका पाक दयार है
नबी का हुक्म हो तो कुद जाए हम समंदर में और जहाको मेहेब करदे नाराए अल्लाहुअकबर में निहत्ते 313 बशर शौके शहादत में निकल आए थे मैदान में मोहम्मद की कयादत में ना तेगो तीर पे तकिया ना खंजर पर ना भालो पर भरोसा है तो एक सादी काली कमली वाले पर
Ye naaz ye andaz हा इस ऐतेकाद पर हम ऐतेमाद रखते है हुजूर अपने गुलामों को याद रखते है अपने अंदाज ज़माने से जुदा रखते है हम तो मेहबूब भी मेहबूबे खुदा रखते है उनके अंदाज जमाने से जुदा होते हैं जो शहेंशाहे मदीना के गदा होते है आओ शाख से केहदे के चले सूए हरम इश्क के सजदे तो मदीने में अदा होते है मांगने वालों चलो उनके दरे दौलत पर जिनके दरबार में सुल्तान भी गदा होते है
जो खयाल आया था ख्वाब में वह जमाल अपना दिखा गए, यह महक लेहेक थी लिबास में के मकान सारा बसा गए, हमें दामे गमसे छुड़ा गए, हमें मुसीबतसे बचा गए, वो नबी मोहम्मद मुस्तफा, के जो सुए अर्शे उला गए यह हलीमा भेद खुला नहीं, ये मकां चुनो चिंरा गए, तू खुदा से पूछ वो कौन थे, तेरी बकरियां जो चरा गए, कहीं हुस्न बनके कबूल में, कहीं रंग बनके वह फूल में, कहीं नूर बन के रसूल में, वह जमाल अपना दिखा गए, हो दुरूद तुम पर हजार हा, मेरे रहनुमा मेरे ना खुदा, मेरा पार बेड़ा लगा गए, मेरी डूबी कश्ती तिरा गए
तुम रौनक ए काबा हो सुल्तान ए मदीना हो हर आंख की पुतली हो हर दिल का नगीना हो, मुश्क हो या अंबर हो चंपा या चमेली हो हर इत्र से बेहतर मेरे आका का पसीना हो, रहमत का यह आलम है चर्चा है जमाने में खाली ना फिरा दर से फिर कितना ही कमीना हो, या रब यही हसरत है या रब ये तमन्ना है सदके में मोहम्मद के रोशन मेरा सीना हो, हर जर्रे में अल्लाह ही अल्लाह नजर आए तस्वीरें मोहम्मद गर सीने में दफीना हो, बेकस हूं मैं बेबस हूं मैं दामन में छुपा लेना या शाहे दो आलम तुम रहमत का खजीना हो, दिल है वही दिल जिसमें प्यारे तेरी उल्फत हो सीना वह कमीना है जिसमें तेरा कीना हो
तुम जाते खुदा से जुदा हो ना खुदा हो अल्लाह को मालूम है क्या जानिए क्या हो, यह क्यों कहूं मुझको यह अता हो वो अता हो वो भीख दो शाहा जिसमें हम सबका भला हो, मिट्टी ना हो बर्बाद पसे मर्ग इलाही जब खाक उड़े मेरी मदीने की हवा हो, हर वक्त करम बंदनवाजी पर तुला है कुछ काम नहीं इससे बुरा हो के भला हो, अल्लाह यूं ही उम्र गुजर जाए गदा की सर खम हो दरे पाक पर और हाथ उठा हो, मंगता तो है मंगता कोई शाहों में दिखा दे जिसको मेरे सरकार से टुकड़ा ना मिला हो
फजले रब्बुल ऊला और क्या चाहिए मिल गए मुस्तफा और क्या चाहिए दामन ए मुस्तफा जिनके हाथों में है उनको रोजे जजा और क्या चाहिए आसियों पर करम हर खता पर अता रहमते मुस्तफा और क्या चाहिए था
हमको अपनी तलब से सीवा चाहिए आप जैसे हैं वैसी अता चाहिए क्यों कहूं ये अता वो अता चाहिए उनको मालूम है हमको क्या चाहिए एक कदम भी ना हम चल सकेंगे हुजूर हर कदम पर करम आपका चाहिए यह दवा चाहिए यह शिफा चाहिए आप राजी रहे और क्या चाहिए आप अपनी गुलामी की दे दे सनद बस यही इज्जतो मर्तबा चाहिए दर्दे जामी मिले नात खालिद लिखु और अंदाजे अहमद रजा चाहिए दौरे हाजिर के नजदी की क्या हैसियत अपने सीने में हैदर का दम चाहिए भर के झोली मेरी मेरे सरकार ने मुस्कुरा कर कहा और क्या चाहिए
तू चरागे नूर है तू सरापा नूर का तू मता ए नूर है तुजसे रुतबा नूर का अल्लाह अल्लाह चेहराए अनवर से हाला नूर का जुल्फ नूरी आंख नूरी हिस्सा हिस्सा नूर का साहिबे वलैल तेरा जल्वा जल्वा नूर का कतरा कतरा नूर का है सेहरा सेहरा नूर का गुंचा गुंचा नूर का है चप्पा चप्पा नूर का तेरे बाग में है हर एक जर्रा नूर का तेरी नस्ले पाक में है बच्चा बच्चा नूर का तू है ऐने नूर तेरा सब घराना नूर का
वो सुबह रबी की सहर का उजाला, वो जिसको बहारो ने सदियों में बाला, जिसे हक़ ने खुद आप सांचे मे ढाला, वो जिसने अंधेरों से हमको निकाला, वो बरकत का परदा वो रहमत का जला, वो आदम से ईसा सभी का हवाला, फलक चांद सूरज सितारे गवाह है, जमीन के हंसी सब नजारे गवाह है, वह आया है जिसने जहां को संभाला, हुस्न की नजाकत उमंगों की माला, वो हर नूरी बशरी से बेहतरो बाला, जो समझे कोई उसे होशो बाला, वो हर मौजीजे में नबियो से आला, वो तकबी में असद में सबसे निराला, वह आदम ने अपनी निगाहों में देखा, वह तखलीके कुदरत की बाहों में देखा, वह इज्जत में अव्वल वह अजमत में अव्वल, वह शौकत में अव्वल वह रिफअत में अव्वल, वह चाहत में अव्वल वह कुदरत में अव्वल, वो आदम से पहले, वो सालेह से पहले, वो याह्या से पहले, वो जकरिया से पहले, वो मूसा से पहले, वो ईसा से पहले, वो हम गुनहगारों को बक्शवाने आए हैं वो हमारा बेड़ा पार लगाने आए हैं वो तौहीद रब की सुनाने आए हैं वो उम्मत को सीने लगाने आए हैं
मुझे अपने गम से नवाज कर मेरी उलजनों को मिटा दिया मेरे कमली वाले ने जो दिया बखुदा तलब के सिवा दिया, दरे औलीयाए किराम ने मुझे मारेफत का पता दिया मेरे गौस ने मेरे ख्वाजा ने मुझे मुस्तफा से मिला दिया, मिटी फिक्र दिल से नजात की मिली मौत से मुझे जिंदगी मेरी कब्र खुल्द से बड़ गई जो नबी ने जलवा दिखा दिया, इधर आओ वक्त की गर्दिशो मेरे दिल में आके पनाह लो गमे ईश्के शाहे मदीना ने मेरे हौसलो को बड़हा दिया, ये सईद अदना सा मोजिजा है मेरे कमली वाले का किसी जर्रे पर जो निगाह की उसे रश्के माह बना दिया
महबूब की महफ़िल को महबूब सजाते हैं आते हैं वही जिनको सरकार बुलाते हैं वह लोग खुदा शाहीद किस्मत के सीकंदर है जो सरवरे आलम का मिलाद मनाते हैं जो शाहे मदीना को लजपाल समझते हैं दामाने तलब भरकर महफ़िल से वह जाते हैं आका की सनाख्वानि दरअस्ल इबादत है हम नात की सूरत में कुरान सुनाते हैं जिनका इस भरी दुनिया में कोई भी नहीं वाली उनको भी मेरे आका सीने से लगाते हैं इस आस में जीता हूं कह दे ये कोई आ कर चल तुझको मदीने में सरकार बुलाते हैं अल्लाह के खजानों के मालिक है नबी सरवर यह सच है नियाजी हम सरकार का खाते
या रसूले खुदा भीख दे दो मुझे गैर के दर की दौलत नहीं चाहिए मैं तुम्हारी इनायत का मोहताज हूं दूसरों की इनायत नहीं चाहिए या खुदा दे इबादत का ऐसा सिला मुझको दीदार हो तेरे महबूब का बंदगी के एवज बागे जन्नत ना दे मुझको सजदों की कीमत नहीं चाहिए बुलबुले बोस्ताने मदीना हूं मैं तुझको रीजवा मुबारक बहिश्ते बरी बागे तैबा के जिसमें नजारे ना हो ऐसी वीरान जन्नत नहीं चाहिए दिल है रोशन मेरा नूरे ईमानसे मालों जर की मुझे कोई लालच नहीं मुस्तफा की मोहब्बत बड़ी चीज है दोनों आलम की दौलत नहीं चाहिए अजमते बादशाही को मैं क्या करूं मेरी शान ए फकीरी सलामत रहे उनके टुकड़ों पर पलती रहे जिंदगी तख्तो ताज और हुकुमत नहीं चाहिए
अल्लाह गफूरो रहीम है, रसूलल्लाह राउफो रहीम है अल्लाह कादीरे कदीर है, रसूलल्लाह सिराज ए मुनीर है अल्लाह ला रैब है, रसूलल्लाह बे ऐब है अल्लाह रब है, रसूलल्लाह शाहे अरब है अल्लाह जुलजलाल है, रसूलल्लाह आमिना के लाल है अल्लाह की रबुबियत है, रसूलल्लाह की नबूवत है अल्लाह की खुदाई है, रसूलल्लाह की मुस्तफाई है अल्लाह रब्बुल आलमीन है, रसूलल्लाह रेहमतुल्लील आलमिन है, अल्लाह की इबादत है, रसूलल्लाह की इताअत है अल्लाह की बक्शीस है, रसूलल्लाह की सिफ़ारिश है अल्लाह देने वाले है, रसूलल्लाह लेने वाले है अल्लाह देते रहेंगे, रसूलल्लाह लेते रहेंगे अल्लाह को देना आता है, रसूलल्लाह को लेना आता है अल्लाह का खजिना बड़ा है, रसूलल्लाह का सीना बड़ा है, वो वो है ये ये है वो ये नहीं ये वो नही अल्लाह लाज वाले है, रसूलल्लाह मेराज वाले है
फर्शे जमीं और ये अर्शे मोअल्ला शाही मदीना का सदका है सारा तारो की जिलमिल ये सूरज ये चंदा सब्जा ये सेहरा समंदर ये दरिया बादल बरसना हवाओ का चलना ये फूल कलिया आब और दाना धूप और साया अंधेरा उजाला गर्मी ये सर्दी ये हुस्ने जमाना रिश्ते ये नाते ये रिश्तो में जीना चाहत ये उल्फत वफा का करीना दिल का सहारा ये नूरी मदीना ये सारी रेहमते बक्शीशे नेअमतो का खजीना शाह ए मदीना का सदका है सारा नामे खुदा तो हमेशा रहेगा और दोनो जहां में मुस्तफा का सिक्का चलेगा
गली गली का मंजर बड़ा अजीब लगा के बादशाह भी निकला तो गरीब लगा बस एक शहरे मदीना है सारी दुनिया में जहा पोहोच के खुदा भी बोहोत करीब लगा बात कर मदीने की जिक्र कर मदीने का इक यही सहारा है इस जहा में जीने का जबां जब ज़िक्रे सनाए रसूल करती है सूखन की दाद खुदा से वूसुल करती है इलाज होना सका जिसका सारी दुनिया मे इलाज उसका मदीने की धूल करती है
जमीनों आसमान ना थे तब हुजूर थे चांद तारे ना थे तब हुजूर थे लोहो कलम ना थे तब हुजूर थे सूरज की गर्मी ना थी तब हुजूर थे बर्फ की ठंडी ना थी तब हुजूर थे सितारों की चमक ना थी तब हुजूर थे सुबह का उजाला ना था तब हुजूर थे रात का अंधेरा ना था तब हुजूर थे जमीन की मिट्टी ना थी तब हुजूर थे पत्थर की सख्ती ना थी तब हुजूर थे जंगल कि खामोशी ना थी तब हुजूर थे आबशारो का बहाव ना था तब हुजूर थे शाखो का जुकाव ना था तब हुजूर थे शामो सेहर ना थे तब हुजूर थे जन्नतो दोजख ना थी तब हुजूर थे जानो दिल न थे तब हुजूर थे अजानो खुतबा ना थे तब हुजूर थे नमाजो रोजे ना थे तब हुजूर थे जिन्नो इंसान ना थे तब हुजूर थे तो इस से पता ये चला के उस वक्त एक खुदा था और एक नूरे मुस्तफा था बेहद ने अजब काम किया हद करदी गुंजाइशे तनकिद सभी रद्द कर दी खुद तो परदे में रहा मगर खुद को दिखाने के लिए सामने तस्वीरे मोहम्मद करदी
पड़ गई मेहशर मे बक्शा गया देखा जिस दम तो अब्रे करम छा गया रूख जिधर हो गया जिंदगी पा गया *आला हजरत फरमाते है जिस तरफ उठ गई दम में दम आ गया उस निगाहे इनायत पे लाखो सलाम *मुफ्ती आजमे हिंद फरमाते है मेरे आमाल का बदला तो जहन्नम ही था में तो जाता मुझे सरकार ने जाने ना दिया *पीर नसीरूदीन नसीर साहब फरमाते है मेहशर तो है मेहशर किस बात का हमको डर हम जिनके सनाखा है वो भी तो वहा होगे *आगे पीर साहब लिखते है दोजख मे में तो क्या मेरा साया ना जायेगा क्युकी रसूले पाक से देखा ना जायेगा *नजमी मिया की रूह आवाज देती है नजमी को नार की तरफ ले जाए जब मलाइका आका कहे के छोड़ दो ये तो मेरा गुलाम है *ताजुशर्रिया की रूह आवाज देती है हर नज़र कांप उठेगी मेहशर के दिन खौफ से हर कलेजा दहल जाएगा पर ये नाज उनके बंदे का देखेगे सब थाम कर उनका दामन मचल जाएगा
पत्थर को यू तराशा नगीना बना दिया सेहरा को मुस्कुरा के मदीना बना दिया दोनो जहां के फूलों की खुशबू निचोड़ कर रब ने मेरे नबी का पसीना बना दिया
खाके तैयबा तेरे जर्रो को चमकता देखा जिस तरफ नजर उठी नूर ही नूर बरसता देखा हाजियो क्या बताऊं शहरे मदीना में क्या देखा फूल तो फूल कांटो को भी महकता देखा
वो दोनो जहां के मालिक है और टूटी चटाई बिस्तर है उस टूटी चटाई बिस्तर से सुल्तान की खुशबू आती है चौदासों बरस का अरसा हुआ मेराज की शब को गुजरे हुए इस घर से अभी तक मेहमान की खुशबू आती है
जिसने सुना वो हो गया शयदा रसूल का कितनी मिठास वाला है लहजा रसूल का उनको तो आए जमाना गुजर गया अब तक जमीन खाती है सदका रसूल का
मदीना से नजफ से करबला से आता है हर मोमिन का रिज्क तो अनोखी अदा से आता है और जब हम पढ़ते सरवरे कोनैन पे दुरुद तो जवाब दरे मुस्तफा से आता है
नामे मोहम्मद से खुशबू ए वफा आती है उनके रोजे से उम्मति उम्मती की सदा आती है काश बैठे हम भी मदीने की गलियों में सुना है वहा से जन्नत की हवा आती है
हर एक नाम से प्यारा मेरे हुजूर का नाम खुदा ने अर्श पे लिखा मेरे हुजूर का नाम दुखे दिलो का मदावा मेरे हुजूर का नाम सभी का मावा ओ मलजा मेरे हुजूर का नाम दुरूद क्यू ना हो उस नाम के लिए लाज़िम है कुदसियो का वजीफा मेरे हुजूर का नाम अहद में भी मिला कर बना दिया अहमद खुदा के नाम का पर्दा मेरे हुजूर का नाम निशाको नूरका मलजन लिखूं या दिल का कलाम है दो जहां का उजाला मेरे हुजूर का नाम
जमानेभर के जालिमों को खबर कर दो गुलामे नबी किसी के आगे जुकता नही है हमारी रूह पर इस्लाम की हुकूमत है रगो में खून नही इश्के रसूल बहता है हिफ्जे नामुसे रिसालत मोमिनो की शान है मुस्तफा पे जान देना यही ईमान है हम अगर सरकार पे कुर्बान है तो क्या एहसान है ये दिल भी उन्ही का है और उन्ही की जान है
है सरापा उजाला हमारा नबी रेहमते हक़ का आला हमारा नबी जिसका कोनेन में कोई सानी नहीं है वह जग से निराला हमारा नबी आबे कोसर पियेंगे तो सिर्फ इसलिए हमको देगा प्याला हमारा नबी सिदरो निगाहें बशर से कहीं है बुलंद और बाला हमारा नबी जिसकी निस्बत से पार हो जाएंगे है वह सच्चा हवाला हमारा नबी रब का महबूब है रब का प्यारा नबी सबसे सच्चा नबी है हमारा नबी आ गया हलीमा की आगोश में दो जहां का उजाला हमारा नबी यतीमो गरीबों का फरियाद रस बे कसो का सहारा हमारा नबी भूली भटकी हुई सारी मखलूकको किसने आकर सवार हमारा नबी पत्थरों झट से पढ़ना है कलमा तुम्हें जब करेगा इशारा हमारा नबी दिल की राहत है आंखों की ठंड है वह सबकी आंखों का तारा हमारा नबी है नबूवत के तारे तो सारे नबी चांद सारे का सारा हमारा नबी वह करम ही करम वह है रब की अता आशिकों का सहारा हमारा नबी अपनी जन्नत में आराम फरमा है वह क्या हंसी है नजारा हमारा नबी बू बक्रो उमरो गनियो अली सबका आका वो मौला हमारा नबी कोई नबी ना कयामत तलक आएगे है कयामत तलक हमारा नबी आयशा से रिवायते कुरान पड़ो हे ये सारे का सारा हमारा नबी अल्फ अल्फाज अल्फाज से आयते आयतो से सिपारा हमारा नबी तिरगी में उजाला हमारा नबी चश्मे आलम का तारा हमारा नबी गैब्दा कमली वाला हमारा नबी सबसे औला व आला हमारा नबी सबसे बाला व बाला हमारा नबी अपने मौला का प्यार हमारा नबी दोनों आलम का दूल्हा हमारा नबी जैसे मेहरे समा एक है वैसे ही जैसे बाबी अता एक है वैसे ही जैसे रोजे जजा एक है वैसे ही जैसे सबका खुदा एक है वैसे ही इनका उनका तुम्हारा हमारा नबी अल्लाह अल्लाह वो उम्मी वो उसदाजे कुल मच गया जिसकी बाऐज से मक्के में गुल खल्क से औलिया औलिया से रूसुल और रूसुलो से बाला हमारा नबी दर पे गैरो की जहमत ना फरमाईए भीख लेने मदीने चले आइए कोई देता है तो सामने आइए मांगने वालो तुमको तो यूं चाहिए मांगना भी किसी से क्यू चाहिए कोन देता है देने को मुंह चाहिए देने वाला है सच्चा हमारा नबी
Kya chahiye kab chahiye sab mang sabhi maang Kis baat ki takhir hai Ab maang abhi maang Daarain ki har chiz to milti hai Nabi se Kuch mangna hai Nabi se to Nabi mang
Daulate darain hogi is sawali hath me Aap sirf hath rakh de mere khali hath me Roshani ki bhikh lene apki sarkar ne Subha baithi hai liye Suraj ki thali hath me Chand do tukde hua Suraj palat kar aa gaya Kya hi kuwat kya kashish thi zuljalali hath me Wo to yu kahiye ke sarkar ne laaj rakhli meri Varna Warna kya rakha hai mere khali haath me
Wallah wo takmile ibadat nahi karte Jo apke roze ki ziarat nahi karte Allah ko jachte hi nahi aise namazi Jo aale muhammad se mohobbat nahi kartee
Dilse gumbade khazra na jayega Sarkar ka ailan bhulaya na jayega Jab Tak ali dilo me basaya na jayega Khulde bari ki rah ko paya na jayega Neze pe Chad ke kehne laga fatima ka laal Ye sar ali ka hai jukaya na jayega Jab Tak hamare sar pe hai Abbas ka alam Hamko yazidiyat se daraya na jayega De Diya hai goaso khwaja ke hath me apna hath Dozakh me me to kya mera saya na jayega
ईमान का सबूत तम्मनाए मुस्तफा कुरान गुफ्तगु करे समझाए मुस्तफा में भी पड़ा हुआ था गुनाहों ढेर में उस गंदगी से मुझको उठा लाए मुस्तफा मेरी तिजोरिया है मुजफ्फर भरी हुए देता खुदा है और दिलाते है मुस्तफा ये माल ये दौलत ये शोहरत तुम्हे मुबारक हो वो मांगे और क्या जिसे मिल जाए मुस्तफा
जिस का इकरार फकत सुराए आराफ करे जो जहालत भरे माहौल को शफ्फाफ करे उस मुहम्मद की बुलंदी को भला क्या जाने कोई जिस की नालैन मुबारक को मौला अली साफ करे