ज़माना जानता है तुम बड़े दिलदार हो ख्वाजा तुम्हारी बंदानवाजी से किसे इनकार है ख्वाजा विलायत के सफीने का तुम्हे सुल्तान कहते है अरब वाले भी तुम्हे शहनशाहे हिंदुस्तान कहते है दर पे दामन को फैलाने में मुझे लाज नही ख्वाजा तेरे सिवा इस दिल पे किसी का राज नही ख्वाजा तेरे सोने के कलश जैसा किसी का ताज नही ख्वाजा जो तेरा है वो किसी हाल मे मोहताज नही ख्वाजा ये तेरी जमीं ये तेरा आसमान है ख्वाजा इसी लिए तो भारत महान है ख्वाजा बस एक बूंद के माइन है ये आनासागर तुम्हारे कासे में हिंदुस्तान है ख्वाजा मेरे चमन में तुजही से बहार है ख्वाजा तू मेरा चैन है मेरा करार है ख्वाजा गरीबी इस लिए दामन में लेके बैठा हु सुना है तुझे गरीबों से प्यार है ख्वाजा
मचल के रख लिया करती हैं रहमतें उसको पूकारता है कोई जब भी या गरीब नवाज तुम्हारे वास्ते हक ने हमे गरीब किया हमारे वास्ते तुम को किया गरीब नवाज गुलामी तेरे दर की किस्मत से मिलती हैं यहां तो भीख भी इज्जत से मिलती हैं खत्म कर दे तू मेरे रोज का रोना ख्वाजा तू तो मिट्टी को भी कर देता है सोना ख्वाजा
बिगड़ा “नसीबा” भी “सवँर” जाता है बंद “किस्मत” का ताला भी खुल जाता है दूर हो जाता है उसकी “जिंदगी” से हर “अंधेरा” जो ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर जाता है आओ फकीरो ईश्क की सौगात माग लो जो चैन से बसर हो वो दीन रात माग लो दरवाजा है खुला हुआ ख्वजा ए ख्वाजगा का मेरे ख़्वाजा से पंजतन पाक की खैरात माग लो
गरीबों मुफलिसो से मोहोब्बत कोन करता है बलाए रोक कर बोलो हिफाजत कोन करता है मुकम्मल 800 साल से ये भारत के महाराजा है मेरे ख़्वाजा पिया जैसी हुकूमत कोन करता है दरे हुसैन की सादिक वफा गरीब नवाज रसूले पाक की दिलकश अता गरीब नवाज अली का नूर है और मरकजे निगाहे हसन है फातिमा की मुक्कदस रिदा गरीब नवाज दयारे पाक तेरा हम छोड़ के जाए कहा है कोन तेरे सिवा दूसरा गरीब नवाज