Khawaja Garib Nawaz Ki Shan Me Aashar/Sher


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01: GARIBO SE PYAR

ज़माना जानता है तुम बड़े दिलदार हो ख्वाजा
तुम्हारी बंदानवाजी से किसे इनकार है ख्वाजा
विलायत के सफीने का तुम्हे सुल्तान कहते है
अरब वाले भी तुम्हे शहनशाहे हिंदुस्तान कहते है
दर पे दामन को फैलाने में मुझे लाज नही ख्वाजा
तेरे सिवा इस दिल पे किसी का राज नही ख्वाजा
तेरे सोने के कलश जैसा
किसी का ताज नही ख्वाजा
जो तेरा है वो किसी हाल मे
मोहताज नही ख्वाजा
ये तेरी जमीं ये तेरा आसमान है ख्वाजा
इसी लिए तो भारत महान है ख्वाजा
बस एक बूंद के माइन है ये आनासागर
तुम्हारे कासे में हिंदुस्तान है ख्वाजा
मेरे चमन में तुजही से बहार है ख्वाजा
तू मेरा चैन है मेरा करार है ख्वाजा
गरीबी इस लिए दामन में लेके बैठा हु
सुना है तुझे गरीबों से प्यार है ख्वाजा

02: GULAMI

मचल के रख लिया करती हैं रहमतें उसको
पूकारता है कोई जब भी या गरीब नवाज
तुम्हारे वास्ते हक ने हमे गरीब किया
हमारे वास्ते तुम को किया गरीब नवाज
गुलामी तेरे दर की किस्मत से मिलती हैं
यहां तो भीख भी इज्जत से मिलती हैं
खत्म कर दे तू मेरे रोज का रोना ख्वाजा
तू तो मिट्टी को भी कर देता है सोना ख्वाजा

03. KHWAJA KA DAR

बिगड़ा “नसीबा” भी “सवँर” जाता है
बंद “किस्मत” का ताला भी खुल जाता है
दूर हो जाता है उसकी “जिंदगी” से हर “अंधेरा”
जो ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर जाता है
आओ फकीरो ईश्क की सौगात माग लो
जो चैन से बसर हो वो दीन रात माग लो
दरवाजा है खुला हुआ ख्वजा ए ख्वाजगा का
मेरे ख़्वाजा से पंजतन पाक की खैरात माग लो

04. GARIB NAWAZ SHER

गरीबों मुफलिसो से मोहोब्बत कोन करता है
बलाए रोक कर बोलो हिफाजत कोन करता है
मुकम्मल 800 साल से ये भारत के महाराजा है
मेरे ख़्वाजा पिया जैसी हुकूमत कोन करता है
दरे हुसैन की सादिक वफा गरीब नवाज
रसूले पाक की दिलकश अता गरीब नवाज
अली का नूर है और मरकजे निगाहे हसन
है फातिमा की मुक्कदस रिदा गरीब नवाज
दयारे पाक तेरा हम छोड़ के जाए कहा
है कोन तेरे सिवा दूसरा गरीब नवाज