वो करम का मक्जन, सखा का मरकज अता सरापा जनाबे जहरा नबी की सीरत नबी की सूरत नबी का नक्शा जनाबे जहरा नबीए आजम की नेक दुख्तर शहीदे आजम की पाक मादर जनाबे शेरे खुदा के घर में जीना की मलिका जनाबे जहरा फिदा हैं आलम तमाम तुम पर दुरूद तुम पर सलाम तुम पर मेरा तो दोनो जहां में वल्लाह फकत सहारा जनाबे जहरा
तू बिनते खैरूल अनाम जहरा अजीम तेरा मकाम जहरा जो है अकीदत गुजार तेरा है उसपे दोजख हराम जहरा लगे कयामत में प्यास जिस दम अता हो कोसर का जाम जहरा कलामे हक भी पड़े कसीदे फरिश्ते भेजे सलाम जहरा तू आए खुद हुजूर उठ कर करे तेरा एहतराम जहरा तू अपने हसनो हुसैन जैनब में तेरे दर का गुलाम जहरा
हया के माथे का ताज जहरा वफा परस्ती की लाज जहरा किसी की बेटी को ना मिला मिला जो तुझको राज जहरा मकामे कुने हुसैन ये है करेगी जन्नत पे राज जहरा ज़माने भर में जो बट रहा है तेरे वो घर का अनाज जहरा जो तेरे शौहर से बुग्ज रखे मरीज है ला इलाज जहरा मिले जो तेरे कदम की मिट्टी हमारे सरका हो ताज जहरा
हया की पैकर वफा कि आयत हिजाब की सलसबीर जहरा कही है मासूमियत का साहिल कही है शराफत की झील जहरा जहाने मौजूद में बनी है वजूदे हक्क की दलील जहरा ज़माने भर की अदालतों में निसा की पहली वकील जहरा आओ सलाम करे उनके आस्ताने को हुसैन पाल के दिया जिसने ज़माने को
फकत मालो जर दीवारों दर अच्छा नहीं लगता घर में अगर बेटी ना हो तो घर अच्छा नही लगता जिनते वक्त में तनवीर बनके आती है खुशनुमा अज़ीज़ की तेहरित बनके आती है जिन्हे नफरत है बेटियो से ये बता तो उन्हे बेटियां बाप की तकदीर बनके आती है ज़माने भर में बड़ी घर की शान बेटी से चमक रहा है दिलो का जहान बेटी से जरूरी नही के बेटा ही घर का नाम रोशन करे मेरे नबी का चला खानदान बेटी से
बुलंदियों से भी है बुलंद मुकाम जहरा का दुरुद पड़के लिया कर तू नाम जहरा का ये सर पे चादरे अब भी गवाही देती है के पर्दादारी का सारा निजाम जहरा का मेरी बेहनो हिजाब लाज़िम है तुम पर है ये तुमको पैगाम जहरा का में उनकी पाकी के बारे में क्या बताऊं तुम्हे जिस का पैकर अर्श पे सजदे में था जोहर पड़ कर वो हसन कि मां बनी नमाजे असर में उनका सर सजदे में था
अकीदतो के हर एक वरख पे दुरुद लिखना सलाम लिखना जुका के सर को दूरूद पड़ कर जनाबे जहरा का नाम लिखना कदम कदम पर खयाल रखना कही अकीदत ना डगमगाए फिर अपने अशको की रोशनाई से फातिमा जहरा का नाम लिखना जो करना हो सरकार को राजी जो करनी हो ज़माने में सरफराजी कलम को सजदे में रख के साजिद हुसैन की अम्मीका नाम लिखना हिजाबो अजमत से इज्न ले कर में शान बिनते रसूल लिखूं कलम के ऊपर नकाब दे कर अदब से लफ्जे बतूल लिखूं पिया जिसने जहरका जाम वो बेटा फातिमा का है जो आया करबला में काम वो बेटा फातिमा का है जो है बगदाद में सोया वो बेटा फातिमा का है तुम्हे मालूम है क्या ए हिंदुस्ता वालों जो लाया हिंद में इस्लाम वो बेटा फातिमा का है
क्यू कर ना हो इख्तियारे सखा फातिमा जहरा है दुख्तरे मेहबुबे खुदा फातिमा जहरा है नूरे मुहम्मद ब खुदा फातिमा जहरा मेहशर में है रेहमत की घटा फातिमा जहरा मादर है जैनब की हसन और हुसैन की है आले मुहम्मद की रिदा फातिमा जहरा पूछा जो किसी ने के खातूने जीना कोन आहिस्ता से मेने ये कहा फातिमा जहरा मेरी दुआवो को वो दरजाए कबूल मिले जो में मांगू मुझे सदकाए बतूल मिले
घर फातिमा जहरा का अजब शान का घर है ये वही की मंजिल है ये कुरान का घर है इस्लाम के माहोल में ईमान का घर है मोमिन की मुनाफिक की पहचान का घर है कुछ लोग मरे जाते है इस रंजो मनन में इस घर का जो दरवाजा है मस्जिद के सहन में अल्लाह ने इस घर को नबूवत से नवाजा इसमत से इमामत से हिदायत से नवाजा हर फर्द को कुरान की आयत से नवाजा सांचे में बसीयत की सब अफ़राद पले है सब चादरे ततहीर के साए में पले है सूरज के आसपास ना चंदा के आसपास जो रोशनी है मजारे फातिमा के आसपास मेरी यही दुआ है जन्नत में ए खुदा हमारी भी मां हो फातिमा जहरा के आसपास
इब्ने जेहरा की मोहब्बत दिन है ईमान है जिसके के दिल में ये नही वो बदनसब इंसान है फख्र से केहता है ये मकसूद सुनो ऐ जहां वालो ज़िक्रे एहलेबेत से मुझको मिली पहचान है