काबे के बदरुददुजा तुम-पे करोड़ों दुरुद
तैबा के शमसुददुहा तुम पे करोड़ों दुरुद
शाफिए रोजे जजा तुम पे करोड़ों दुरुद
दाफिए जुमला बला तुम पे करोड़ों दुरुद
और कोई गैब क्या, तुम से नीहाँ हो भला
जब न ख़ुदा ही छिपा तुम पे करोड़ों दुरुद
दिल करो ठन्डा मेर वो कफे पा चाँद सा
सीने पे रख दो जरा तुम पे करोड़ों दुरुद
जात हुई इन्तिख़ाब, वस्फ् हुए ला जावाब
नाम हुआ मुस्तफा तुम पे करोड़ों दुरुद
तुम हो हाफिजो मुगीस, क्या है वह दुश्म॒न खबीस
तुम हो तो फिर खोफ क्या तुम पे करोड़ों दुरुद
तुम से खुला बाबे जूद, तुमसे है सबका वुजूद
तुम से है सबकी बका, तुम पे करोड़ों दुरुद
गरचे है बेहद कुसूर, तुम हो अफुव्वो गफूर
बख्श दो जुर्मो खता तुम पे करोड़ों दुरुद
खल्क के हाकिम हो तुम, रिज़्क के कासिम हो तुम
तुम से मिला जो मिला, तुम पे करोड़ों दुरुद
करके तुम्हारे गुनाह मांगे तुम्हारी पनाह
तुम कहो दामन में आ तुम पे करोड़ों दुरुद
काम वो ले लीजिऐ तुम को जो राजी करे'
ठिक हो नामे रजा तुम पे करोड़ों दुरुद