madina-sharif

मेरे अल्लाह के निगार सलाम लिरीक्स

मेरे अल्लाह के निगार सलाम
दस्ते कुदरत को निगार सलाम

दोनों आलम के ताजदार सलाम
जाने हर जानों जानदार सलाम

खाके तैया बने मेरी हस्ती
अर्ज करता है ख़ाकसार सलाम

फिर मदीने में कब बलाओ गे
तुम से कहता है इन्तिज़ार सलाम

खुल्द कहती है यूं मदीने से
तुझपे ऐ खुल्द की बहार सलाम

देदे उल्फत में दे मजा ऐसा
दिल न पाए कभी करार सलाम

अपनी उल्फत का एसा जाम पिला
जिसका बढ़ना रहे ख़ुमार सलाम

तेरी खातिर जलील होना है
तेरी इज्जत मेरे वकार सलाम

अपने अख्तर का लो सलाम शहा
तुम पे ऐ जान ऐ करार सलाम