शहंशाहे अ।ला सलामुन अलैकुम
दो आलम के आका सलामुन अलैकुम
तजल्लीए मक्का सलामुन अलैकुम
बहरे मदीना सलामुन अलैकुम
तवल्लुद हुए जिस घड़ी मेरे आका
तो काबा पुकार सलामुन अलैकुम
हर इक गुल की टहनी से आवाज़ आई
नबी आ रहे हैं सलामुन अलैकुम
बने औलिया अंबिया सब बराती
दो आलम के दूल्हा सलामुन अलैकुम
गए अर्श पे जिस घड़ी मेरे आका
ख़ुदा खुद पुकारा सलामुन अलैकुम