madina-sharif

ताजदारे हरम ऐ शहंशाहे दीं सलाम

ताजदारे हरम ऐ शहंशाहे दीं
तुम पर हर दम करोड़ों दुरुदो सलाम
हो निगाहे करम मुझ पे सुल्ताने दीं
तुम पर हर दम करोड़ों दुरुदो सलाम

दोनों आलम में कोई भी तुम सा नहीं
सब हसीनों से बढ़कर तुम्हीं हो हसीं
कासिमे रिज़्के रब्बुल उला हो तुम्हीं
तुम पर हर दम करोड़ों दुरुदो सलाम

इश्क से तेरे मामूर सीना रहे
लब पे हरदम मदीना मदीना रहे
बस मैं दीवाना बन जाऊं सुल्ताने दीं
तुम पर हर दम करोड़ों दुरुदो सलाम

कोई हुस्ने अमल पास मेरे नहीं
फंस ना जाऊं कयामत में मौला कहीं
ऐ शफीउल उमम लाज रखना तुम्हीं
तुम पर हर दम करोड़ो दुरुदो सलाम

फिर बुलालो मदिने मे अत्तार को
ये तडपता हेतैबा के दिदार को
कोइ इस्के सिवा आरजू नही
तुम पर हर दम करोड़ो दुरुदो सलाम